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गाँव के बाहर एक पुरानी हवेली थी जिसके पास से गुजरते हुए लोग साँस धीमी
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कर लेते थे। कहते थे वहाँ हवा भी रुक-रुक कर चलती है जैसे कुछ कहना
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चाहती हो। दिन में वह आम औरत दिखती थी सफेद साड़ी और चेहरे पर
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एक शांत मुस्कान। उस रात जब मैं अकेली लौट रही थी मैंने उसे देखा।
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आप कौन हैं? मैं वही हूँ जो शादी के बाद कभी अपने घर नहीं पहुँच
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पाई। मेरा दिल धड़कने लगा और तभी मैंने देखा उसके पाँव ज़मीन को
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छू नहीं रहे थे। अब तुम भी मेरे साथ चलोगी।
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