अनकही भावनाओं की सुनाई
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नौ साल के आरव ने अपनी चुप्पी में दुनिया को समझना सीखा था। हर सुबह पार्क की बेंच पर
बैठकर वह लोगों के होंठ पढ़ता, उनके चेहरे पढ़ता। एक दिन एक आदमी फोन पर बोल रहा था मुझे
तुमसे मिलना बहुत याद है। लेकिन उसकी आंखों में दर्द था, माथे पर शिकन थी। आरव ने अपनी नोटबुक
में लिखा यादें बराबर चिंता। वह समझ गया कि शब्द झूठ बोल सकते हैं पर चेहरा नहीं। उस आदमी ने
फोन रखा और बुदबुदाया अब मैं क्या करूं। आरव मुस्कुराया और लिखा सच्ची यादें शब्दों में नहीं
भावनाओं में होती हैं। उस दिन एक बहरे बच्चे ने वह सुना जो सुनने वाले नहीं सुन पाते। कभी किसी
की अनकही बातें सुनी हैं आपने।
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